बुधवार, 30 दिसंबर 2009

वो आई और चली गयी

एक हवा का झोंका आया
कहते हैं 'नया' संदेशा लाया ?
पर जब भी देखा, पाया मैंने
पुरवाई पश्चिम की ही गली गयी
वो आई और चली गयी |

बाज़ार बढ़ गए नए मशीनों के,
किसे फिक्र इंसानी करीनों के |
इन इंसानों के वहशियत में
जाने कितनी 'रुचिका' और बलि गयी
वो आई और चली गयी |

मिला कर्णधारों को सुअवसर,
भाषा-क्षेत्र-प्रान्त के नाम पर |
कथित सम्माननीय राष्ट्रभाषा भी,
राजनीति के पैरों मली गयी |
वो आई और चली गयी |

प्रकृति नाराज हुई फिर हमपर,
कहीं फ्लू कहीं बाढ़ का कहर |
हर साँस जूझते-जूझते भी,
जाने कितनी जानें चली गयी |
वो आई और चली गयी |

चिंता उठी 'धरती' की फिर,
सुलझाने जुटे धीर-गंभीर |
जिसने चाहा जितना साधा,
प्रकृति पर फिर से 'छली' गयी |
वो आई और चली गयी |

क्या कुछ बचा है बताने को,
दिल रो रहा, है कौन समझाने को |
किसको भूलूं , किसको बिसरूं ,
इक याददाश्त बची थी, भली गयी |
वो आई और चली गयी |

[ Bye-bye 2009, Welcome 2010 !! Hope we will something really new in you, Something really positive, Something that can save our race, Something that make me to change theme when I write in 2010 ]